1984 में हुए सिख दंगाः 75 फाइलें फिर खोलेगी एसआईटी
केंद्र सरकार की ओर
से बनाई गई एसआईटी अब 1984
में
हुए सिख दंगों की बंद 75
फाइलें
फिर से खोलेगी।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों में तीन हजार लोगों की मौत हो गई थी। इनमें केवल दिल्ली ही में 2733 लोग मारे गए थे और ये सभी सभी सिख थे।
75 फाइलें दंगों के बाद 587 केस दर्ज हुए थे लेकिन सबूतों के अाभाव और पीड़ितों की अनुपस्थिति की वजह से 241 मामलों को बंद कर दिया गया था। हालाकि बाद में 2006 में चार और 2013 में फिर से एक केस को खोला गया था, जिसमें 35 को सजा हुई थी, जबकि 237 मामले बंद ही रह गए थे।
मोदी सरकार ने क्यों गठित की थी एसआईटीः
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सिख समुदाय 1984 दंगों से जुड़े मामलों की फाइलें फिर से खोलने की मांग कर रहे थे। इसके बाद गृह मंत्रालय ने सेवानिवृत्ति न्यायाधीश जीपी माथुर समिति की सिफारिश के बाद 12 फरवरी 2015 को एसआईटी गठित की गई थी। एसआईटी को छह महीने में सरकार को रिपोर्ट देनी थी, लेकिन इसमें देरी हुई। अब सिख विरोधी दंगों के केवल 75 मामलों की पुर्नजांच का निर्णय किया गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, मामलों की तह तक जाने के लिए एसआईटी विज्ञापन का भी सहारा लेगी। एसआईटी पीड़ितों और गवाहों से अपील करेगी कि वो इसमें सहायता करें।
केजरीवाल ने लिखा था पीएम को पत्रः
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 1984 में हुए सिख दंगों की जांच के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित एसआईटी को छलावा करार दिया था।
केजरीवाल ने पीएम को लिखे पत्र में कहा था कि दंगों की जांच के लिए 12 फरवरी 2015 को एसआईटी गठित की गई थी, लेकिन डेढ़ साल बाद भी कुछ नहीं हुआ। अब या तो एसआईटी को कुछ ठोस करने के लिए कहा जाए या इसकी जांच बंद कर दिल्ली को एसआईटी गठित कर जांच करने की इजाजत दी जाए।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों में तीन हजार लोगों की मौत हो गई थी। इनमें केवल दिल्ली ही में 2733 लोग मारे गए थे और ये सभी सभी सिख थे।
75 फाइलें दंगों के बाद 587 केस दर्ज हुए थे लेकिन सबूतों के अाभाव और पीड़ितों की अनुपस्थिति की वजह से 241 मामलों को बंद कर दिया गया था। हालाकि बाद में 2006 में चार और 2013 में फिर से एक केस को खोला गया था, जिसमें 35 को सजा हुई थी, जबकि 237 मामले बंद ही रह गए थे।
मोदी सरकार ने क्यों गठित की थी एसआईटीः
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सिख समुदाय 1984 दंगों से जुड़े मामलों की फाइलें फिर से खोलने की मांग कर रहे थे। इसके बाद गृह मंत्रालय ने सेवानिवृत्ति न्यायाधीश जीपी माथुर समिति की सिफारिश के बाद 12 फरवरी 2015 को एसआईटी गठित की गई थी। एसआईटी को छह महीने में सरकार को रिपोर्ट देनी थी, लेकिन इसमें देरी हुई। अब सिख विरोधी दंगों के केवल 75 मामलों की पुर्नजांच का निर्णय किया गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, मामलों की तह तक जाने के लिए एसआईटी विज्ञापन का भी सहारा लेगी। एसआईटी पीड़ितों और गवाहों से अपील करेगी कि वो इसमें सहायता करें।
केजरीवाल ने लिखा था पीएम को पत्रः
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 1984 में हुए सिख दंगों की जांच के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित एसआईटी को छलावा करार दिया था।
केजरीवाल ने पीएम को लिखे पत्र में कहा था कि दंगों की जांच के लिए 12 फरवरी 2015 को एसआईटी गठित की गई थी, लेकिन डेढ़ साल बाद भी कुछ नहीं हुआ। अब या तो एसआईटी को कुछ ठोस करने के लिए कहा जाए या इसकी जांच बंद कर दिल्ली को एसआईटी गठित कर जांच करने की इजाजत दी जाए।
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