पाक से जीतकर खुश न हो धोनी, दूर करें यह कमजोरी
भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप के पहले अभियान में पाकिस्तान को 76 रनों से करारी शिकस्त भले ही दे दी हो लेकिन 22 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से होने वाले मुकाबले में उसकी राह आसान नहीं होगी।
बता दें कि वर्ल्ड कप में भारतीय टीम को हर बार शिकस्त झेलनी पड़ी है। ऐसे में धोनी के धुरंधरों को दक्षिण अफ्रीका से जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़े तो हैरानी नहीं होगी।
वैसे देखा जाए तो भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन, रोहित शर्मा, सुरेश रैना और विराट कोहली लय में दिख रहे हैं। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने पाकिस्तान पर जीत दर्ज करने पर टीम इंडिया की बैटिंग और गेंदबाजी पर खुशी जाहिर की थी लेकिन आखिरी 10 ओवरों में जिस तरह भारतीय बल्लेबाजों ने विकेट गंवाए और तेजी से रन बनाने से चूके। यह सिर्फ वर्ल्ड कप मुकाबले में ही नहीं बल्कि त्रिकोणीय सीरीज में भारतीय टीम की सबसे बड़ी कमजोरी के तौर पर उभरी थी।
पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम ने शुरुआती ओवर में विकेट संभालकर खेला लेकिन आखिरी 10 ओवर में वे तेजी से रन नहीं जुटा सके। यदि भारतीय बल्लेबाज किसी भी टीम के खिलाफ बड़ा स्कोर खड़ा करना चाहते हैं तो उन्हें ऐसा करना होगा। लेकिन पिछले कई मुकाबलों से ऐसा होता नहीं दिख रहा है। भारत और पाकिस्तान के मुकाबलों के दौरान भी ऐसा ही होता दिखा है आइए इस पर डालते हैं नजरः
वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए ग्रुप बी के अहम मुकाबले में भारतीय टीम ने 40 ओवर में 2 विकेट के नुकासन पर 217 रन बनाए थे और आखिरी 10 ओवर में 5 विकेट गंवाकर महज 83 रन बना सकी। भारत ने 50 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 300 रन बनाए। यह तब है जब टीम इंडिया का स्कोर 325 रनों के पार होता दिखाई पड़ रहा था।
भारत ने 40वें ओवर में 4 रन, 41वें ओवर में 7 रन, 42वें ओवर में 11 रन, 43वें ओवर में 10 रन, 44वें ओवर में 14 रन, 45वें ओवर में 14 रन, 46वें ओवर में 6 रन, 47वें ओवर में 4 रन, 48वें ओवर में 9 रन, 49वें ओवर में 4 रन और 50वें ओवर में भी 4 रन दिए।
यानि भारतीय टीम ने 42वें ओवर में तेजी से रन जुटाना शुरू किए और 45वें ओवर तक ऐसा हुआ लेकिन 46वें ओवर में कोहली और 48वें ओवर में सुरेश रैना के आउट होने के बाद भारतीय टीम तेजी से रन नहीं जुटा सकी।
कुल मिलाकर आखिरी के 5 ओवर (46वें ओवर से 50वें ओवर तक) में भारतीय टीम ने महज 27 रन जो़ड़े जबकि भारतीय टीम ने 42वें से 45वें ओवर (कुल चार ओवर) में 49 रन जो़ड़े। यह आंकड़े दर्शाने के लिए काफी है कि भारतीय टीम बड़े आखिरी मौके पर चूक रही है, जो दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम के खिलाफ अच्छी बात नहीं होगी।
त्रिकोणीय सीरीजः त्रिकोणीय सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी लीग मुकाबले में भारत ने 40 ओवर में 6 विकेट के नुकासन पर 157 रन बनाए थे वही 48.1 ओवर यह स्कोर 200 तक पहुंचा था।
यानि 49 गेंद में भारत ने 50 रन बनाए और 4 विकेट गंवाए। यह स्थिति किसी भी लिहाज से अच्छी नहीं कही जा सकती। इससे पहले के त्रिकोणीय सीरीज में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत द्वारा खेले गए लीग मुकाबले की बात करें तो भारतीय टीम की बैटिंग और बॉलिंग सही नहीं थी और त्रिकोणीय सीरीज में उसका प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा।
भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप के पहले अभियान में पाकिस्तान को 76 रनों से करारी शिकस्त भले ही दे दी हो लेकिन 22 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से होने वाले मुकाबले में उसकी राह आसान नहीं होगी।
बता दें कि वर्ल्ड कप में भारतीय टीम को हर बार शिकस्त झेलनी पड़ी है। ऐसे में धोनी के धुरंधरों को दक्षिण अफ्रीका से जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़े तो हैरानी नहीं होगी।
वैसे देखा जाए तो भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन, रोहित शर्मा, सुरेश रैना और विराट कोहली लय में दिख रहे हैं। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने पाकिस्तान पर जीत दर्ज करने पर टीम इंडिया की बैटिंग और गेंदबाजी पर खुशी जाहिर की थी लेकिन आखिरी 10 ओवरों में जिस तरह भारतीय बल्लेबाजों ने विकेट गंवाए और तेजी से रन बनाने से चूके। यह सिर्फ वर्ल्ड कप मुकाबले में ही नहीं बल्कि त्रिकोणीय सीरीज में भारतीय टीम की सबसे बड़ी कमजोरी के तौर पर उभरी थी।
पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम ने शुरुआती ओवर में विकेट संभालकर खेला लेकिन आखिरी 10 ओवर में वे तेजी से रन नहीं जुटा सके। यदि भारतीय बल्लेबाज किसी भी टीम के खिलाफ बड़ा स्कोर खड़ा करना चाहते हैं तो उन्हें ऐसा करना होगा। लेकिन पिछले कई मुकाबलों से ऐसा होता नहीं दिख रहा है। भारत और पाकिस्तान के मुकाबलों के दौरान भी ऐसा ही होता दिखा है आइए इस पर डालते हैं नजरः
वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए ग्रुप बी के अहम मुकाबले में भारतीय टीम ने 40 ओवर में 2 विकेट के नुकासन पर 217 रन बनाए थे और आखिरी 10 ओवर में 5 विकेट गंवाकर महज 83 रन बना सकी। भारत ने 50 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 300 रन बनाए। यह तब है जब टीम इंडिया का स्कोर 325 रनों के पार होता दिखाई पड़ रहा था।
भारत ने 40वें ओवर में 4 रन, 41वें ओवर में 7 रन, 42वें ओवर में 11 रन, 43वें ओवर में 10 रन, 44वें ओवर में 14 रन, 45वें ओवर में 14 रन, 46वें ओवर में 6 रन, 47वें ओवर में 4 रन, 48वें ओवर में 9 रन, 49वें ओवर में 4 रन और 50वें ओवर में भी 4 रन दिए।
यानि भारतीय टीम ने 42वें ओवर में तेजी से रन जुटाना शुरू किए और 45वें ओवर तक ऐसा हुआ लेकिन 46वें ओवर में कोहली और 48वें ओवर में सुरेश रैना के आउट होने के बाद भारतीय टीम तेजी से रन नहीं जुटा सकी।
कुल मिलाकर आखिरी के 5 ओवर (46वें ओवर से 50वें ओवर तक) में भारतीय टीम ने महज 27 रन जो़ड़े जबकि भारतीय टीम ने 42वें से 45वें ओवर (कुल चार ओवर) में 49 रन जो़ड़े। यह आंकड़े दर्शाने के लिए काफी है कि भारतीय टीम बड़े आखिरी मौके पर चूक रही है, जो दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम के खिलाफ अच्छी बात नहीं होगी।
त्रिकोणीय सीरीजः त्रिकोणीय सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी लीग मुकाबले में भारत ने 40 ओवर में 6 विकेट के नुकासन पर 157 रन बनाए थे वही 48.1 ओवर यह स्कोर 200 तक पहुंचा था।
यानि 49 गेंद में भारत ने 50 रन बनाए और 4 विकेट गंवाए। यह स्थिति किसी भी लिहाज से अच्छी नहीं कही जा सकती। इससे पहले के त्रिकोणीय सीरीज में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत द्वारा खेले गए लीग मुकाबले की बात करें तो भारतीय टीम की बैटिंग और बॉलिंग सही नहीं थी और त्रिकोणीय सीरीज में उसका प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा।