एक नजर: क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल 





अगले महीने से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की संयुक्त मेजबनी में आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2015 शुरू हो रहा है। इसके लिए क्रिकट टीमों के बीच जोर आजमाईश शुरू हो गई है।

वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन के लिए खिलाड़ी भी अपने कमियों को दूर करने के लिए जुटे हुए ताकि वे शानदार प्रदर्शन कर सके।

लेकिन अब तक 10 वर्ल्ड कप का आयोजन हो चुका है, जिसमें 10 क्रिकेटरों ने फाइनल मुकाबले में अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार अपने नाम कर क्रिकेट इतिहास में दर्ज कराया है। आइए इन क्रिकेटरों पर डालते हैं नजर हैं:

1975: क्लाइव लॉयड, वेस्टइंडीज (102 रन)

क्रिकेट के इतिहास में निर्धारित ओवर वाले मुकाबले का यह पहला वर्ल्ड मुकाबला था। दुनिया की दो दिग्गज टीमों ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच पहले वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला खेला गया।

ऑस्ट्रेलिया से टॉस हारकर बैटिंग करने उतरी कैरेबियाई टीम ने क्लाइव लॉयड के शानदार शतक की बदौलत 60 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 291 रन बनाए।

क्लाइव लॉयडन ने उस वक्त 85 गेंदों का सामना करते हुए 12 चौके और 2 खूबसूरत गगनचुंबी छक्के की मदद से 102 रन बनाए थे। जवाब में बैटिंग करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम 58.4 ओवर में 274 रन ही बना सकी और उसे 17 रनों की शिकस्त झेलने के साथ ही पहले वर्ल्ड कप खिताब से वंचित होना पड़ा। क्लाइव लॉयड को शानदार शतकीय पारी के लिए "मैन ऑफ द मैच" मिला।


1979: विव रिचर्ड्स, वेस्टइंडीज (नाबाद 138 रन)

वर्ल्ड कप 1979 का फाइनल मुकाबला वेस्डइंडीज और इंग्लैंड के बीच खेला गया। यह लगातार दूसरी बार था कि कैरेबियाई टीम फाइनल में पहुंची थी।

इंग्लैंड से टॉस हारकर पहले बैटिंग करते हुए वेस्टइंडीज ने विव रिचर्ड्स के शानदार नाबाद शतकीय (नाबाद 138 रन) पारी की बदौलत निर्धारित 60 ओवर में 9 विकेट के नुकसान पर 286 रन बनाए।

जवाब में इंग्लैंड की टीम 51 ओवर में 194 रनों पर सिमट गई और उसे 91 रनों की करारी शिकस्त के साथ ही वर्ल्ड कप खिताब गंवाना पड़ा। विव रिचर्ड्स को उनकी बेहतरी शतकीय पारी के लिए मैन ऑफ द मैच पुरस्कार से नवाजा गया।



1983: मोहिंदर अमरनाथ, भारत (3-12 और 26 रन)

तीसरा वर्ल्ड कप भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था। वेस्टइंडीज से टॉस हारकर पहले बैटिंग करते हुए भारत ने श्रीकांत की जूझारू बल्लेबाजी और मोहिंदर अमरनाथ की हरफनमौला प्रदर्शन की बदौलत वेस्टइंडीज के लगातार तीसरी बार वर्ल्ड कप जीतने के अरमानों पर पानी फेर दिया।

भारत की पूरी टीम 54.4 ओवर में सभी विकेट गंवाकर 183 रन बनाए थे, जवाब में बैटिंग करते हुए कैरेबियाई टीम मदनलाला और मोहिंदर अमरनाथ की घातक गेंदबाजी के आगे टिक नहीं सकी और 52 ओवर में 140 रनों पर ऑल आउट हो गई।

मदनलाल और अमरनाथ ने 3-3 विकेट झटके। अमरनाथ को 7 ओवर में 12 रन देकर 3 विकेट झटकने के साथ 26 रन बनाने की वजह से "मैन ऑफ द मैच" मिला।


1987: डेविड बून, ऑस्ट्रेलिया (75 रन)

चौैथा वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए डेविड बून के शानदार अर्धशतकीय पारी की बदौलत इंग्लैंड को जीत के लिए निर्धारित 50 ओवर में 5 विकेट के नुकासन पर 253 रनों का लक्ष्य दिया।

लेकिन इंग्लैंड की निर्धारित 50 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 146 रन ही बना सकी और उसे 7 रनों से शिकस्त झेलनी पड़ी। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डेविड बून ने 125 गेंदों का समाना करते हुए 75 रन बनाए थे। उनको शानदार खेल का प्रदर्शन करने के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला।


1992: वसीम अकरम, पाकिस्तान (33 रन और 3-49)

पांचवां वर्ल्ड कप पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच खेला गया। टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए पाकिस्तान ने इमरान खान के खूबसूरत अर्धशतक (72) की बदौलत 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 249 रन बनाए।

वसीम अकरम ने निचलते क्रम पर तेजी से रन बटोरते हुए 18 गेंदों में बेहतरीन 33 रनों की पारी खेली। वहीं वसीम अकरम और मुस्ताक अहमद के शानदार गेंदबाजी के आगे लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम 49.2 ओवर में 227 रनों पर सिमट गई और से 22 रनों से शिकस्त झेलनी के साथ एक बार फिर वर्ल्ड कप खिताब नहीं जीत सका। वसीम अकरम ने 10 ओवर में 49 रन देकर 3 विकेट झटके और 33 रन भी बनाए। उनके हरफनमौला खेल के चलते मैन ऑफ द मैच मिला।





1996: अरविंद डी सिल्वा, श्रीलंका (107 रन और 3-42)

छठां वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम (पाकिस्तान) में खेला गया। श्रीलंका से टॉस हारकर पहलेे बैटिंग करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 50 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 241 रन बनाए।

अरविंद डी सिल्वा ने 9 ओवर में 42 रन देकर 3 विकेट झटके। वहीं लक्ष्य का पीछा करते हुए श्रीलंकाई टीम ने शुरूआती झटकों से उबरते हुए अरविंद डी सिल्वा के खूबसूरत शतक से 46.2 ओवर में 3 विकेट खोकर 22 गेंद शेष रहते ही जीत हासिल कर ली और वर्ल्ड क्रिकेट का नया बादशाह बना। सिल्वा को हरफनमौला प्रदर्शन करने के लिए मैन ऑफ द मैच से सम्मानित किया गया।

1999: शेन वार्न, ऑस्ट्रेलिया (4-33)

एक बार फिर वर्ल्ड कप फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की भिड़ंत हुई। पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए 39 ओवर में ही 132 रनों पर सिमट गई।

शेन वार्न की घातक गेंदबाजी की बदौलत पाकिस्तान की ओर से कोई भी बल्लेबाज 25 रनों के आंकड़े को छू नहीं सका। शेन वार्न ने 9 ओवर में 1 मैडन डालते हुए 33 रन देकर 4 विकेट झटके।

वहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 20.1 ओवर में 2 विकेट खोकर 133 रनों बनाकर पाकिस्तान पर आसानी से जीत हासिल कर वर्ल्ड कप का नया शहंशाह बना। शेन वार्न को उनकी बेहतरीन गेंदबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच मिला।

2003: रिकी पोटिंग, ऑस्ट्रेलिया (नाबाद 140)

आठवें वर्ल्ड में एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंचा जहां उसका सामना भारतीय टीम से हुआ। भारत वर्ल्ड कप दूसरी बार फाइनल में पहुंचा था।

टॉस हारकर पहले बैटिंग करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने रिकी पोटिंग के शानदार शतक की बदौलत निर्धारित 50 ओवर में 2 विकेट के नुकसान पर 359 रन बनाए।

जवाब में पूरी भारतीय टीम 39.2 ओवर में 234 रनों पर सिमट गई और दूसरी बार वर्ल्ड कप जीतने के भारत के अरमानों पर पानी फिर गया। पोटिंग को शानदार शतक (121 गेंद में 4 चौके और 8 छक्के, नाबाद 140 रन) के लिए मैन ऑफ द मैच मिला।

2007: एडम गिलक्रिस्ट, ऑस्ट्रेलिया (149 रन)

वेस्टइंडीज टीम के बाद ऑस्ट्रेलिया दूसरी टीम है जो वर्ल्ड कप फाइनल में तीसरी बार पहुंची। 9वें वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच फाइनल मुकाबला खेला गया।

बारिश से प्रभावित मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने एडम गिलक्रिस्ट के शानदार शतक की बदौलत 38 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 281 रन बनाए।

जवाब में श्रीलंकाई टीम 36 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 215 रन ही बना सकी और मैच का फैसला डकवर्थ लुईस नियम के आधार पर हुआ जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 53 रनों से जीत हासिल कर तीसरी बार वर्ल्ड क्रिकेट का शहंशाह बना।

2011: महेंद्र सिंह धोनी, भारत (नाबाद 91 रन)

महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारत तीसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा। वर्ल्ड कप के फाइनल में श्रीलंका के साथ पहली बार भारत भिड़ा और 28 साल बाद वर्ल्ड कप खिताब पर कब्जा जमाया।

श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए निर्धारित 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 274 रन बनाए।

जवाब में लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम ने शुरूआती झटकों से उबरते हुए गौतम गंभीर (97), महेंद्र सिंह धोनी (नाबाद 91 रन, 79 गेंद) और युवराज सिंह (नाबाद 21) की बदौलत 48.2 ओवर में 4 विकेट खोकर 277 रन बनाए और खिताबी जीत दर्ज की।

धोनी को तूफानी अंदाज में कप्तानी पारी खेलने के लिए मैन ऑफ द मैच मिला।

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