लोकप्रिय मोदी, आखिर हांसिये पर क्यों है विपक्ष?
लोकतंत्र तभी सशक्त और मजबूत होता है जब विपक्ष अपनी भूमिका सही तरीके से निभाती है। विपक्ष का काम सरकार की खामियों व नाकामियों को जनता के सामने पुरजोर तरीके से उठने के साथ ही साथ सरकार को निरंकुश होने से रोकना होता है। लेकिन वर्तमान में भारतीय राजनीति में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। प्रमुख विपक्षी दल और देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस व उसकी सहयोगी दल इसमें विफल होती दिख रही है, नतीजन उन्हें इसका परिणाम भुगतान पड़ रहा है।
वहीं विपक्ष की इस कमजोरी का फायदा सत्तारूढ़ भाजपा को हो रहा है। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने देशहित के नाम पर कई अलोकप्रिय फैसले लिए, लेकिन सरकार अपने फैसले का बचाव करने में सफल रही। आइए, विपक्ष की उन नीतिगत कमियों के बारे में बताते हैं, जो भाजपा नीत केंद्र सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती थी।
नोटबंदी- केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने नोटबंदी के बारे अचानक फैसला लेकर सभी को हैरानी में डाल दिया था। केंद्र ने काले धन का हवाला देकर एक तरफ आम आदमी की सहानुभूति हांसिल करने की कोशिश की, वहीं जब विपक्ष सरकार के फैसले को गलत साबित करने में नाकाम रही। होना तो यह चाहिए था कि विपक्षी दल जनता के बीच जाते और नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान व उससे होने वाली आगामी परेशानियों के बारे में बताते और अपने पक्ष में माहौल बनाते, लेकिन वे ऐसा कर पाने में विफल रहे।
महंगाई - आपको तो याद होगा जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तो भारतीय जनता पार्टी सब्जी, आटा, दाल, चावल और घरेलू गैस को लेकर सड़क पर उतर आती थी। इतना ही नहीं वह जनता को भरोसा दिलाने में कामयाब हो जाती थी कि सरकार की नीतियों की वजह से महंगाई बढ़ रही है। वहीं आज जब केंद्र में भाजपा की सरकार है और इस समय खाद्य पदार्थ के दामों में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है तो विपक्ष सरकार की खामियों व नाकामियों को जनता के सामने लाने में विफल रही है।
रोजगार - भाजपा ने चुनाव के समय अपने घोषणा पत्र में रोजगार के रास्ते तलाशने और युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी, लेकिन अब तक वह ऐसा करने में नाकाम रही। दूसरी ओर विपक्ष रोजगार के मुद्दे को लेकर ना तो सड़क पर उतरी और ना ही संसद में इसको लेकर सरकार को घेरा।
किसान- भाजपा नीत केंद्र सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने की घोषणा अपने चुनाव अभियान के दौरान कई थी, लेकिन अब तक वह ऐसा नहीं कर सकीं है। उल्टा पहले की ही तरह किसान आत्महत्या कर रहे हैं। विपक्ष को जनता के बीच जाकर भाजपा की कथनी और करनी में फर्क समझाना चाहिए, लेकिन वे अब तक ऐसा करने में विफल रहे हैं।
जीएसटी - याद कीजिए जब केंद्र की सत्ता में यूपीए की सरकार थी, तो विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने इसका जमकर विरोध किया था। वहीं केंद्र में जब भाजपा की सरकार बनीं तो जीएसटी को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। ऐसे में यूपीए सरकार की ओर से लाए गए जीएसटी (जो लागू नहीं हो सका) और भाजपा की ओर से लाए गए जीएसटी की गुण दोष को विपक्ष को बताना चाहिए और सरकार को घेरने चाहिए। लेकिन विपक्ष ऐसा करने में नाकाम रहा।
वहीं विपक्ष की इस कमजोरी का फायदा सत्तारूढ़ भाजपा को हो रहा है। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने देशहित के नाम पर कई अलोकप्रिय फैसले लिए, लेकिन सरकार अपने फैसले का बचाव करने में सफल रही। आइए, विपक्ष की उन नीतिगत कमियों के बारे में बताते हैं, जो भाजपा नीत केंद्र सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती थी।
नोटबंदी- केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने नोटबंदी के बारे अचानक फैसला लेकर सभी को हैरानी में डाल दिया था। केंद्र ने काले धन का हवाला देकर एक तरफ आम आदमी की सहानुभूति हांसिल करने की कोशिश की, वहीं जब विपक्ष सरकार के फैसले को गलत साबित करने में नाकाम रही। होना तो यह चाहिए था कि विपक्षी दल जनता के बीच जाते और नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान व उससे होने वाली आगामी परेशानियों के बारे में बताते और अपने पक्ष में माहौल बनाते, लेकिन वे ऐसा कर पाने में विफल रहे।
महंगाई - आपको तो याद होगा जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तो भारतीय जनता पार्टी सब्जी, आटा, दाल, चावल और घरेलू गैस को लेकर सड़क पर उतर आती थी। इतना ही नहीं वह जनता को भरोसा दिलाने में कामयाब हो जाती थी कि सरकार की नीतियों की वजह से महंगाई बढ़ रही है। वहीं आज जब केंद्र में भाजपा की सरकार है और इस समय खाद्य पदार्थ के दामों में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है तो विपक्ष सरकार की खामियों व नाकामियों को जनता के सामने लाने में विफल रही है।
रोजगार - भाजपा ने चुनाव के समय अपने घोषणा पत्र में रोजगार के रास्ते तलाशने और युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी, लेकिन अब तक वह ऐसा करने में नाकाम रही। दूसरी ओर विपक्ष रोजगार के मुद्दे को लेकर ना तो सड़क पर उतरी और ना ही संसद में इसको लेकर सरकार को घेरा।
किसान- भाजपा नीत केंद्र सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने की घोषणा अपने चुनाव अभियान के दौरान कई थी, लेकिन अब तक वह ऐसा नहीं कर सकीं है। उल्टा पहले की ही तरह किसान आत्महत्या कर रहे हैं। विपक्ष को जनता के बीच जाकर भाजपा की कथनी और करनी में फर्क समझाना चाहिए, लेकिन वे अब तक ऐसा करने में विफल रहे हैं।
जीएसटी - याद कीजिए जब केंद्र की सत्ता में यूपीए की सरकार थी, तो विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने इसका जमकर विरोध किया था। वहीं केंद्र में जब भाजपा की सरकार बनीं तो जीएसटी को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। ऐसे में यूपीए सरकार की ओर से लाए गए जीएसटी (जो लागू नहीं हो सका) और भाजपा की ओर से लाए गए जीएसटी की गुण दोष को विपक्ष को बताना चाहिए और सरकार को घेरने चाहिए। लेकिन विपक्ष ऐसा करने में नाकाम रहा।
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