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Showing posts from July, 2017

INDVSL: शिखर धवन का धमाका, दोहरा शतक से चूके, बने कई रिकॉर्ड

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श्रीलंका के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में भारतीय बल्लेबाज शिखर धवन भले ही दोहरे शतक से चूक गए हो, लेकिन उन्होंने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर मेजबान टीम को शुरुआती झटके ( मुकुंद - 12 रन) का लाभ नहीं उठाने दिया। भारतीय बल्लेबाज शिखर धवन की बल्लेबाजी का कमाल ही था कि भारतीय टीम ने दूसरे विकेट के लिए 253 रन की साझेदारी कर श्रीलंकाई टीम की मुश्किलें बढ़ा दी। लेकिन यह साझेदारी और आगे बढ़ पाती, और वे अपने खाते में बड़ी उपलब्धि जोड़ पाते 190 रनों के निजी स्कोर पर पवेलियन लौट गए। हालांकि दोहरा शतक जड़ने से वे भले ही चूक गए हो, लेकिन उन्होंने अपने खाते में कई उपलब्धियां जोड़ ली है। आइए, धवन की इन उपलब्धियों पर डालते हैं एक नजर.... * श्रीलंका के खिलाफ शिखर धवन ने शानदार 190 रन बनाए। यह टेस्ट क्रिकेट उनका सर्वोच्च स्कोर है। इससे पहले टेस्ट में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 187 रन था, जिसे उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाया था। * शिखर धवन श्रीलंका के खिलाफ 150 या उससे अधिक रन बनाने वाले तीसरे खिलाड़ी बन गए। इससे पहले यह कारनामा सचिन तेंदुलकर और वीरेन्द्र

श्रीलंका के खिलाफ कोहली का यह है प्लान

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भारत और श्रीलंका के बीच तीन टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला अब से कुछ ही देर में शुरू होने वाला है। ऐसे में सभी की निगाहें नवोदित भारतीय कोच रवि शास्त्री और विराट कोहली की जुगलबंदी पर टिक गई होगी। वहीं दूसरी ओर कोहली और रवि शास्त्री विवादों को पीछे छोड़ते हुए श्रीलंका को उसी के घर में मात देने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में भारतीय कप्तान विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ अपनी रणनीति का खुलासा किया है और कहा है कि पांचवे गेंदबाज की कमी को पूरा करने के लिए हरफनमौला क्रिकेटर हार्दिक पांड्या को टेस्ट कैप पहनने का मौका दे सकते हैं। विराट कोहली ने अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि पिछली बार हमें लगा था कि हमने संभवतः एक बल्लेबाज को कम खिलाया और पांचवां गेंदबाज मैच में काफी कुछ नहीं करता। लेकिन हमारे पास विकल्प है और हमारी टीम संतुलित है। कप्तान कोहली ने हार्दिक पांड्या की तारीफ करते हुए कहा कि अब हमारे पास एक ऐसा गेंदबाज है, जो किसी भी तरह की पिच पर विकेट लेने की क्षमता तो रखता ही है, साथ ही शानदार बैट्स मैन भी है। इसलिए हार्दिक के खेलने की संभावना

14वें राष्ट्रपति बने रामनाथ कोविंद, जानिए सब कुछ

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मेरे देशवासियो,  मुझे, भारत के राष्ट्रपति (President Of India) पद का दायित्व सौंपने के लिए मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। मैं पूरी विनम्रता के साथ इस पद को ग्रहण कर रहा हूँ। यहाँ सेंट्रल हॉल में आकर मेरी कई पुरानी स्मृतियां ताजा हो गई हैं। मैं संसद का सदस्य रहा हूं, और इसी सेंट्रल हॉल में मैंने आप में से कई लोगों के साथ विचार-विनिमय किया है। कई बार हम सहमत होते थे, कई बार असहमत। लेकिन इसके बावजूद हम सभी ने एक दूसरे के विचारों का सम्मान करना सीखा। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है।  मैं एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पला-बढ़ा हूँ। मेरी यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन ये यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही है। हमारे देश और हमारे समाज की भी यही गाथा रही है। हर चुनौती के बावजूद, हमारे देश में, संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल मंत्र का पालन किया जाता है और मैं इस मूल मंत्र का सदैव पालन करता रहूँगा।  मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ नागरिकों को नमन करता हूँ और उन्होंने मुझ पर जो विश्वास जताया है, उस पर खरा उतरने का मैं वचन देत

लोकप्रिय मोदी, आखिर हांसिये पर क्यों है विपक्ष?

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लोकतंत्र तभी सशक्त और मजबूत होता है जब विपक्ष अपनी भूमिका सही तरीके से निभाती है। विपक्ष का काम सरकार की खामियों व नाकामियों को जनता के सामने पुरजोर तरीके से उठने के साथ ही साथ सरकार को निरंकुश होने से रोकना होता है। लेकिन वर्तमान में भारतीय राजनीति में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। प्रमुख विपक्षी दल और देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस व उसकी सहयोगी दल इसमें विफल होती दिख रही है, नतीजन उन्हें इसका परिणाम भुगतान पड़ रहा है। वहीं विपक्ष की इस कमजोरी का फायदा सत्तारूढ़ भाजपा को हो रहा है। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने देशहित के नाम पर कई अलोकप्रिय फैसले लिए, लेकिन सरकार अपने फैसले का बचाव करने में सफल रही। आइए, विपक्ष की उन नीतिगत कमियों के बारे में बताते हैं, जो भाजपा नीत केंद्र सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती थी। नोटबंदी - केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने नोटबंदी के बारे अचानक फैसला लेकर सभी को हैरानी में डाल दिया था। केंद्र ने काले धन का हवाला देकर एक तरफ आम आदमी की सहानुभूति हांसिल करने की कोशिश की, वहीं जब विपक्ष सरकार के फैसले को गलत साबित करने में नाकाम रही। होना तो

आखिर क्यों आईसीसी सोचने को होगी मजबूर?

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महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में टीम इंडिया को भले ही इंग्लैंड से नौ रनों से शिकस्त झेलनी पड़ी हो, लेकिन भारतीय महिला खिलाड़ियों ने लॉर्ड्स की पिच पर जिस तरह का जुझारूपन दिखाया, वह काबिले तारीफ है। इतना ही नहीं यह पहली बार है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला क्रिकेट को देखा और सराहा गया। इसी का नतीजा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को हर भारतीय महिला क्रिकेटर के लिए 50 लाख रुपये की ईनाम राशि की घोषणा करनी पड़ी। महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप के प्रति लोगों की दिलचस्पी देखते हुए यह सहज ही अदांजा लगाया जा सकता है कि पुरुष क्रिकेट की तरह जल्द ही यह भी लोकप्रिय हो जाएगा। जहां तक मेरा मानना है कि भारत में आईपीएल के आगमन से भारतीयों में इस खेल के प्रति दिलचस्पी घटी है वहीं महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2017 के शानदार सफल आयोजन और कवरेज ने आईसीसी और क्रिकेट बोर्ड को सोचने के लिए मजबूर किया है। अब अगर आईसीसी और अन्य क्रिकेट की संस्थाएं महिला क्रिकेट की ओर ध्यान दें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। फिलहाल इंग्लैंड की महिला क्रिकेट टीम को वर्ल्ड कप जीतने के लिए बहुत बहुत बधाई। 

आज हर भारतीय की जुबां पर इनका नाम, कभी सचिन ने की थी मदद

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महिला विश्व कप के सेमीफाइनल में अॉस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार शतक जड़कर टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाने वाली हरमनप्रीत कौर आज भले ही हर भारतीय की जुबां पर हो, लेकिन क्या आपको पता है, उनकी मदद मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने की थी। इंडियन एक्सप्रेस से अखबार से बातचीत में डायना इडुलजी ने यह जानकारी दी। डायना ने बताया कि वो हरमनप्रीत को जूनियर स्तर से ही जानती है। चूंकि डायना उस समय वेस्टर्न रेलवे में अधिकारी थी। वो चाहती थी कि हरमनप्रीत भी रेलवे में नौकरी करें और रेलवे की ओर से ही खेले। उस वक्त हरमनप्रीत कौर की नौकरी नार्दन रेलवे लग चुकी थी, लेकिन वो उन्हें उच्च पद पर देखना चाहती थी। डायना ने उन्हें चीफ अॉफिस अॉफ सुपरिटेंडेंट का पद दिया, लेकिन दिल्ली में बैठे उच्चाधिकारियों ने इसकी स्वीकृति नहीं दी। इसके बाद उन्होंने सांसद और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर से बात की। सचिन ने भी हरमनप्रीत के खेल का लोहा माना और तब उन्होंने बतौर सांसद रेलवे के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा। सचिन के पत्र लिखने के बाद अधिकारियों की ओर से स्वीकृति मिली और उनकी नौकरी पक्की हो सकी।