चुनाव से पहले सचिन पायलट का "अनशन"
राजस्थान विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। भाजपा एक तरफ जहां भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था पर गहलोत सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की 'अंदरूनी' राजनीति पार्टी के सामने संकट पैदा कर रही। दरअसल, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने वसुंधरा सरकार के घोटालों की जांच की मांग कर ''गहलोत एंड कंपनी'' के सामने मुसीबत पैदा कर दी है। सचिन पायलट के मांग के बाद से कांग्रेस पार्टी आगामी दिनों में दो धड़ों में बंटती नजर आए तो आश्चर्य नहीं। सचिन पायलट की मांग को जहां भाजपा ने कांग्रेस का ''अंदरूनी झगड़ा'' करार दिया, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं ने अपनी ही सरकार को निशाने पर लिया है।
वहीं, कांग्रेस नेता सुशील असोपा ने भी ट्वीट कर गहलोत सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा, ''मोदी और शाह तो बिना मुद्दे के राहुल गांधी को टारगेट कर रहे जबकि खुद के ही आरोपों पर गहलोत भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते। ये गठजोड़ क्या कहलाता है? कैसी मिलीभगत है ये, कांग्रेस वर्कर पूछ रहा है, क्योंकि भाजपा वर्कर ताने मारते हैं कि तुमने झूठे आरोप लगाए।
दूसरी ओर, गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी सचिन पायलट के सुर में सुर मिलाया है। उन्होंने कहा, सचिन पायलट को मुद्दे उठाने का हक है। लोकतांत्रिक पार्टी में कोई भी अपनी आवाज उठा सकता है। अगर वह सवाल उठा रहे हैं तो उसका सम्मान होना चाहिए।
आपको बता दें कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने वसुंधरा सरकार में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की मांग की है। इसको लेकर 11 अप्रेल को जयपुर के शहीद स्मारक पर सचिन पायलट एक दिन का अनशन करेंगे।
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